गुल्लक
काफी समय से सोच रहा था कि
ब्लॉग लिखूँ पर समझ नहीं पा रहा था शुरुआत कैसे करूँ | फिर सोचा, जैसे एक
बच्चा जन्म लेता है तो सबसे पहले उसका नामकरण होता है, उसी
तरह ब्लॉग का भी नामकरण होना चाहिए| मैंने बिना कोई शुभ
मुहरत देखे, किसी पंडित से राय लिए, अपने ब्लॉग का नाम “गुल्लक” रख दिया |
आपको थोड़ा आश्चर्य हो सकता है कि ब्लॉग का नाम “गुल्लक” ही
क्यूँ रखा गया | पर यकीन मानिए गुल्लक और
मुझ में काफी समानताएँ हैं, “गुल्लक” का जन्म भी मेरे साथ ही, दिल्ली शहर में बसे एक छोटे से गाँव ‘कटवारिया सराय’ के समीप एक सरकारी अस्पताल में हुआ | हम दोनों बचपन
से लेकर अभी तक हर सांस साथ में लेते आए हैं | मेरी माँ कि
गोद में, मैं और गुल्लक साथ में खेले हैं | पापा के कंधों पर बैठकर आकाश को छूने कि कोशिश उसने भी की है | मेरी बड़ी बहन के खिलौनों को तोड़ने में उसका भी हाथ रहा है | शुरू के पाँच सालों में जब-जब मैंने जन्मदिन का केक काटा तो उसमे मेरी
फूँक के साथ उसकी फूँक भी शामिल थी| दौड़ते- भागते खेलते हुए
जब भी मेरे घुटने छिले तो दर्द उसे भी उतना ही हुआ है |
उसका कोई ‘सरनेम’ नहीं है, वो किसी एक समुदाय से जुड़कर और बाकी सभी
से दूर होकर नहीं जीना चाहता | मैंने उसकी यह आज़ादी छीनने की
चेष्टा भी नहीं की | शायद यह पहली असमानता हैं हम दोनों में | मैं बहते हुए समय के साथ इतना आगे निकल गया हूँ की कई बार अतीत के पन्नों
पर लिखी बाते थोड़ी धूमिल दिखती हैं पर “गुल्लक” कुछ नहीं भूलता उसने बचपन से लेकर
अभी तक बिताए हर लम्हों के सिक्के बनाकर खुद मे छुपा लिये है | कई बार डर लगता है कि किसी दिन गुल्लक भर गया तो मेरा क्या होगा, उसमे से कोई भी सिक्का ऐसा नहीं है जिससे मैं निकाल सकूँ| अभी भी ये ब्लॉग लिखते समय “गुल्लक “ मेरे बगल में सोफ़े पर बैठा मुस्कुरा
रहा है और कह रहा है- तुम ज़्यादा सोच रहे हो, चलो अब किस्से सुनाते
हैं.. | आशा है आप सभी को “गुल्लक” से मिलकर
बहुत मज़ा आएगा |
Awesome..... Bhai....
ReplyDeleteधन्यवाद :)
Deleteबेहतरीन आगाज,👍👌👏👏✌️
ReplyDeleteशुक्रिया भईया, कोशिश रहेगी की आगाज के बाद भी मशाल में उतनी ही आग रहे..॥
DeleteGullak ki kahani
ReplyDeleteGullak k kisse
Gullak ki baatein
Gullak ki yaadein......all the best for the journey
Thankyou :)
DeleteVery good
ReplyDeleteइन्तज़ार रहेगा गुल्लक की खनक का।
ReplyDeleteकोशिश रहेगी की जल्द ही खनके..एक सिक्का थोड़ी देर के लिये चुराने वाला हूँ गुल्लक से :)
DeleteGood one Nishant!👍
ReplyDeleteThank you
DeleteVery nice, unique approach
ReplyDeleteThank you
DeleteAwesome thought.......
ReplyDeleteThanks Prasad :)
DeleteGood one Pandey ji, likhte rahiye.
ReplyDeleteहौसला अफज़ाई के लिये शुक्रिया.., कोशिश रहेगी लिखते रहने की.. :)
DeleteVery good.
ReplyDeleteTumhare is gullak ke saath aur tumhare saath khi na khi mai bhi Juda hu.
Very Nice Nishant. . 😊😊😊
ReplyDeleteThama!